भारतीय हॉकी टीम  लंदन ओलंपिक के लिए क्वालीफाई 
नई दिल्ली। चार साल पहले ओलंपिक से बाहर रहने की त्रासदी झेल चुकी भारतीय पुरूष हॉकी टीम ने तमाम नाकामियों और विवादों को पीछे छोड़कर रविवार को लंदन ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर लिया। खचाखच भरे मेजर ध्यानचंद स्टेडियम पर खेले गए फाइनल में ड्रैग फ्लिकर संदीप सिंह के पांच गोल के दम पर भारतीय टीम ने फ्रांस को 8-1 से रौंद दिया।भारतीय टीम 80 बरस में पहली बार 2008 बीजिंग ओलंपिक के लिए क्वालीफाई नहीं कर सकी थी, जब सैंटियागो में क्वालीफायर में उसे ब्रिटेन ने 2-0 से हराया था। चार साल बाद अपनी सरजमीं पर तीन बार के ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता बलबीर सिंह समेत पूर्व ओलंपियनों की पूरी जमात की मौजूदगी में खेले गए फाइनल में भारतीय टीम ने बेहतरीन खेल दिखाया। कल महिला टीम की फाइनल में दक्षिण अफ्रीका के हाथों हार से मायूस दर्शकों को माइकल नोब्स की टीम ने शानदार प्रदर्शन की सौगात दी। भारत के लिए बीरेंद्र लाकड़ा (18वां), संदीप सिंह (20वां, 25वां, 37वां मिनट, 49वां मिनट, 50वां), एसवी सुनील (46वां), वीआर रघुनाथ (55वां मिनट) ने गोल किए, जबकि फ्रांस के लिए सिमोन मार्टिन ब्रिसाक (24वां मिनट) ने गोल दागा। भारत ने आठ में से छह गोल पेनल्टी कॉर्नर पर किए।
पदक का कयास अभी जल्दबाजी
ओलंपिक में पदक या प्रदर्शन के बारे में कयास लगाना अभी जल्दबाजी होगी। ओलंपिक में अभी समय है, लेकिन हमने सही दिशा में पहला कदम उठा दिया है। अब दुनिया की कोई भी टीम भारत को हल्के में नहीं ले सकती। रफ्तार के मामले में हम ऑस्ट्रेलिया के मुकाबले आ गए हैं। यह निश्चित तौर पर मेरे कोचिंग कॅरिअर की सबसे बड़ी जीत है। मैं जानता हूं कि भारतीय टीम से अगले पांच-छह महीने में काफी अपेक्षाएं की जाएंगी और हम उन पर खरे उतरने के लिए काफी मेहनत करेंगे। माइकल नोब्स, भारतीय कोच
धुल गया काला अध्याय
बीजिंग ओलंपिक नहीं खेल पाना भारतीय हॉकी का काला अध्याय था, जिसे अब सभी भूल जाएंगे। अब हमें आगे की सोचना है। नोब्स आला दर्जे के कोच हैं। टीम को बोझ देते नहीं, बल्कि टीम का बोझ अपने सिर लेते हैं। संदीप सिंह, भारतीय खिलाड़ी
सर्वश्रेष्ठ टीम
क्वालीफायर से पहले टीम चयन पर काफी सवाल उठाए जा रहे थे, लेकिन इस जीत ने साबित कर दिया कि यह भारत की सर्वश्रेष्ठ टीम है।
भरत छेत्री, भारतीय कप्तान

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