गुरू बिन घोर अंधेराः साध्वी सत्यसिद्धा
बाड़मेर।
‘भव सागर को सफलता पूर्वक पार करना चाहते हो तो गुरू बनाना जरूरी है। गुरू बिन घोर अंधेरा। जो व्यक्ति गुरू नहीं करता उसे नुगरा कहते है। ’
यह प्रवचन साध्वी सत्यसिद्धा गिरी ने बाड़मेर शहर के आॅफिसर काॅलोनी-लक्ष्मी नगर स्थित मनोकामना पूर्ण महादेव मंदिर में वात्सल्य सेवा केन्द्र, बाड़मेर व शिव शक्ति महिला मंडल के संयुक्त तत्वावधान में नौ दिवसीय ‘नैनी बाई रो मायरो व शिव महापुराण’ कथा के सातवें दिन बुधवार को कही। 
साध्वी सत्यसिद्धा गिरी ने भगवान-शिव पार्वती विवाह का वृतान्त सुनाया। इस पर कलाकारों ने खूब जमकर नृत्य किया। कथा में श्रद्धालु भी झूमने लगे। कथा में डा. विकास चैधरी मुख्य यजमान रहे। इनका माल्यार्पण कर महिला मंडल की ओर से सम्मान किया गया। कथा में शर्मिला चैहान, रेखा राव, पुखराज माथुर, रमेशसिंह ईन्दा, मूलाराम जाणी, मूलाराम माली, लहरी भाटी, चन्द्रा गौड़, ब्रदीनारायण गौड़, किशन गौड़, गोविन्दसिंह सहित सैकड़ों की संख्या में महिलाओं ने कथा श्रवण की। 

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