बाड़मेर विधायक समेत 14 के खिलाफ फर्जी पट्टे देने का मामला दर्ज 
बाड़मेर
नगर परिषद बाड़मेर में फर्जी पट्टों के मामले में मंगलवार को तत्कालीन नगर परिषद अध्यक्ष और वर्तमान बाड़मेर विधायक मेवाराम जैन समेत, तत्कालीन ईओ, एक्सईएन और अन्य 14 अधिकारियों के खिलाफ नगर परिषद आयुक्त श्रवण विश्नोई ने शहर कोतवाली थाने में मामला दर्ज करवाया है।
वर्ष 1999 से 2004 तक कच्ची बस्ती नियमन और अन्य सरकारी कार्मिकों को भी नियम विरुद्ध पट्टे जारी किए गए थे। सीएम के निर्देश पर विशेष जांच रिपोर्ट के बाद अब एफआईआर दर्ज हुई है। मंगलवार को दो मामले दर्ज हुए जिसमें एक मामला सरकारी कार्मिकों को नियम विरुद्ध पट्टे जारी करने का है, जबकि एक और मामला कच्ची बस्ती नियमन के अंतर्गत 200 वर्ग गज के तय मापदंडों का नजर अंदाज कर पट्टे जारी करने का मामला है।
स्वायत्त शासन विभाग की ओर से सीएम के आदेश पर हुई जांच रिपोर्ट बाड़मेर आयुक्त को भेज निर्देश दिया कि गंभीर अनियमितताओं के दोषियों के खिलाफ मामला दर्ज करवाया जाए। तत्कालीन अध्यक्ष मेवाराम जैन के कार्यकाल 1999 से 2004 तक की जांच में 139 फाइलों में अनियमितताएं मिली थी, जिनमें 41 फाइलों में गंभीर अनियमितताएं होने पर आयुक्त ने मामला दर्ज करवाया है।

पहला मामला: 

गरीब परिवारों को देने थे पट्टे, 20 सरकारी कार्मिकों को भी दे दिए:नगर परिषद आयुक्त की ओर से कोतवाली में पेश की गई रिपोर्ट के मुताबिक कच्ची बस्ती में 15 अगस्त 1998 तक अनधिकृत रूप से राजकीय भूमि एवं स्थानीय निकायों की भूमि पर गरीब बेघर वाशिंदों के अवैध आवासीय निर्माणों के नियमन किए जाने के निर्देश दिए गए थे। इन निर्देशों में किसी भी राज्य कर्मचारी, केंद्रीय कर्मचारी, निगम, मंडल या स्वायत्त शासन संस्था के कर्मचारियों के कब्जों का नियमन नहीं किया जा सकता। इसके अतिरिक्त 200 वर्गगज तक के भूखंडों को नियमित किए जाने का प्रावधान है, इससे अधिक कृषि भूमि के कब्जों के नियमन का कोई प्रावधान नहीं है। जबकि बाड़मेर नगर परिषद ने 1999 से 2004 के बीच कच्ची बस्ती नियमन प्रक्रिया के दौरान बाड़मेर शहर के 20 ऐसे सरकारी कर्मचारियों को भी गरीब की श्रेणी में शामिल कर पट्टे जारी कर दिए गए, जो नियम विरुद्ध है। धारा 420, 467, 468, 471, 120 बी में मामला दर्ज किया गया।

इन 20 सरकारी कार्मिकों को दिए पट्टे:

एफआईआर में सरकारी कर्मचारियों को जारी किए जाने वाले नामों का भी उल्लेख किया गया है। जिनमें हीराराम पुत्र रामूराम विश्नोई, रिटायर्ड हैड कांस्टेबल है। इसी तरह पदमसिंह पुत्र चैलसिंह निवासी लक्ष्मी नगर, जुगतसिंह पुत्र दुर्गसिंह, उमाराम पुत्र खेताराम चौधरी, राजेंद्र कुमार पुत्र घमंडाराम व रमेश कुमार, भाखरसिंह पुत्र लक्ष्मणसिंह, नाथूराम पुत्र सेवाराम, बिंजाराम पुत्र सेवाराम, मांगीलाल पुत्र कासुराम, शेराराम पुत्र जैसाराम, सुलमान खां पुत्र जबरू खां, दुर्गाराम पुत्र पूराराम, अणदाराम पुत्र आईदानराम, नानगाराम पुत्र देराजराम, गिरधारीराम पुत्र अचलाराम, गोरधनराम पुत्र शंभुराम, मेघसिंह पुत्र खेमाराम, माडू देवी पत्नी ईशराराम, जुगताराम पुत्र उगराराम, भैराराम पुत्र टिकमाराम, मांगीलाल पुत्र देवराज, सोनाराम पुत्र शिवदानराम को नियम विरुद्ध पट्टे जारी किए गए।

दूसरा मामला: 

नियम विरुद्ध 200 वर्ग गज से अधिक की भूमि का दिया पट्टा:नगर परिषद आयुक्त ने दूसरा मामला स्वायत्त शासन विभाग के आदेश के विपरीत नियमों और मापदंड को ताक पर 21 लोगों को 200 वर्ग गज से अधिक की जमीन के पट्टे दे दिए। जबकि प्रावधान यह है कि गरीब और असहाय लोग जो 15 अगस्त 1998 तक सरकारी जमीन पर रह रहे है तो उन्हें नियमित किया जाए और 200 वर्ग गज तक पट्टे दिए जाए। जबकि परिषद के तत्कालीन अध्यक्ष, ईओ और अन्य अधिकारी व कर्मचारियों ने नियम विरुद्ध 200 वर्ग गज से अधिक के भी पट्टे जारी कर दिए।

इन 21 लोगों को जारी किए पट्टे:

200 वर्ग गज से अधिक के नियमन करवाने में गोरधनराम पुत्र डूंगराराम, आईदानराम पुत्र खुशालाराम, धाईदेवी पत्नी आईदानराम, गंवरी देवी पत्नी मोती सिंह, दौलतसिंह पुत्र खींवसिंह, शंकरलाल पुत्र चांदाराम, नाथुराम पुत्र चांदाराम, कुदंनसिंह पुत्र गुमानाराम, रम्भा देवी पत्नी भगवानाराम, देदाराम पुत्र रावताराम, कौशलाराम पुत्र केसाराम, चुन्नीलाल पुत्र मोटाराम, जोगाराम पुत्र मोटाराम, टीलाराम पुत्र देदाराम, भगवानदास पुत्र पुरखाराम, मोहनलाल पुत्र गेमरलाल, गुलाबाराम पुत्र लालाराम, जसवंतराम पुत्र मंगलाराम व अब्दुल शकूर पुत्र अब्दुल गनी को पट्टा जारी किया गया।

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