सेवा व सौहार्द की मिसाल बनी कैमल सफारी
बाड़मेर
सरहद पर सुरक्षा का जिम्मा संभालने वाले बीएसएफ के जवान अब सरहदी गांवों में सेवा के साथ जागरूकता का संदेश दे रहे हैं। भारत-पाक अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर सजे धजे ऊंटों पर सवार बीएसएफ के जवान सीना ताने हाथों में राइफल्स थामे चल रहे थे। दूर दूर तक रेत के मखमली धोरों में मिठास घोलती सर्दी के बीच ऊंटों का कारवां सौहार्द का संदेश देते हुए गुजर रहा था। जवानों की ओर से सरहदी गांवों के लोगों को सुरक्षा का भरोसा दिलाने के साथ सेवा का जज्बा देखते ही बन रहा था। सफारी के जरिए बीएसएफ के जवान सरहदी गांवों में सौहार्द व भाइचारे का संदेश दे रहे है। छह दिन पूर्व मुनाबाव से रवाना हुई बीएसएफ की कैमल सफारी दल सरहदी गांवों से होते हुए गुजरात के कच्छ रण क्षेत्र में प्रवेश कर गया। बीएसएफ की ओर से 10 नवंबर को मुनाबाव से कैमल सफारी शुरू हुई जो करीब 410 किलोमीटर लंबा सफर तय कर गुजरात के सुई गांव पहुंचेगी। ऊंटों का कारवां सरहदी गांवों से होकर गुजर रहा है। जहां स्वास्थ्य शिविर आयोजित कर निशुल्क उपचार व दवाइयां बांटने के साथ सरहदी गांवों के लोगों को सुरक्षा का भरोसा दिला रहे हैं। इतना ही नहीं कैमल सफारी दल सांस्कृतिक कार्यक्रमों के जरिए मनोरंजन भी कर रहे हैं। बीएसएफ की अनूठी पहल से सरहदी गांवों के लोगों में उत्साह व उल्लास का माहौल बना है। जगह जगह कैमल सफारी का गाजे बाजे के साथ स्वागत किया जा रहा है।


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