सरकार शक्ति परीक्षण को तैयार
नई दिल्ली। कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाले को लेकर संसद के मानसून सत्र के हंगामे की भेंट चढ़ने के बाद 22 नवंबर से शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन(संप्रग) सरकार को शक्ति परीक्षण का सामना करना पड़ सकता है और विपक्ष एक बार फिर उसे महंगाई,भ्रष्टाचार, घोटालों और मल्टीब्रांड खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश(एफडीआई) के मुद्दों पर कटघरे में खड़ा करने की फिराक में है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने घटक एवं सहयोगी दलों के नेताओं को भोज की राजनीति के जरिए मनाने की पहल की है और शक्ति परीक्षण को तैयार हैं। उनकी हर कोशिश है कि इस बार संसद का सत्र चले ताकि जरूरी विधायी कामकाज को निपटाया जा सके जो मानसून सत्र से लंबित पड़ा हैं।
एफडीआई पर आरपार का इरादा
सरकार भी एफडीआई के मुद्दे पर आरपार के मूड में है और उसने तृणमूल की धमकियों की परवाह नही करते हुए कहा है कि वह संसद में अविश्वास प्रस्ताव समेत किसी भी चुनौती का सामना करने को तैयार है। लेकिन संप्रग के प्रमुख घटक द्रमुक ने एफडीआई के मुद्दे पर ससपेंस बना रखा है। सरकार अपनी पहली जीत सदन के सुचारू संचालन में देख रही है क्योंकि पूरा का पूरा मानसून सत्र कोयला घोटाले की भेंट चढ़ गया था।
ममता लाएंगी अविश्वास प्रस्ताव
एफडीआई के मुद्दे पर तृणमूल कांग्रेस के संप्रग और सरकार से नाता तोड़ने के बाद पहली बार मनमोहन सिंह सरकार को संसद का सामना करना पडेगा। तृणमूल नेता ममता बनर्जी के बागी तेवरों के बाद स्पष्ट है कि वह सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लायेंगी। यहां तक कि प्रमुख विपक्षी गठबंधन राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन(राजग) और वाम मोर्चा भी बनर्जी के रूख को देखने के बाद ही अपने पूरे पžो खोलने की तैयारी में है।
सदन चले तो विपक्ष से आपत्ति नहीं
सरकार ने कहा है कि विपक्ष यदि उसे किसी भी मुद्दे पर घेरना चाहता है तो उसे कोई आपत्ति नहीं है। उसकी आपत्ति सदन नहीं चलने देने पर है। वह किसी भी मुद्दे पर नियमों के तहत चर्चा कराने को तैयार हैं। शीत कालीन सत्र का भारीभरकम एजेंडा है और उसे पूरा करने के लिए सरकार राजनीतिक दलो से संपर्क में हैं। इस सत्र में सरकार लोकपाल,बीमा क्षेत्र में सीधे विदेशी निवेश की सीमा 26 से बढ़ाकर 49 प्रतिशत करने,बैंकिंग नियमन और प्रत्यक्ष कर संहिता तथा भूमि अधिग्रहण जैसे विधेयकों को पारित कराना चाहती है।
भाजपा के 40 से अधिक नोटिस
प्रमुख विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) ने महंगाई भ्रष्टाचार और मल्टीब्रांड खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) समेत कई मुद्दों को अनेक नियमों के तहत शीतकालीन सत्र में उठाने के लिए चालीस से अधिक नोटिस दिए हैं। भाजपा ने कहा है कि उसने कोयला ब्लॉक घोटाले के मुद्दे को छोडा नहीं है और वह इस पर भी सरकार से जबाब मांगेगी।
माकपा को अन्य वाम दलों का साथ
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी(माकपा) ने मल्टी ब्रांड रिटेल में 51 प्रतिशत एफडीआई के खिलाफ संसद के दोनों सदनों में मतविभाजन के नियम के तहत प्रस्ताव लाने का एलान कर रखा है। माकपा इस सिलसिले में समाजवादी पार्टी,बीजू जनता दल और जनता दल(सेक्युलर) जैसे उन सभी दलों के संपर्क में हैं जो 20 सितम्बर को आयोजित राष्ट्रव्यापी बंद में शमिल हुए थे। इसके अलावा पार्टी अन्य दलों के साथ भी बातचीत कर रही है। माकपा ने अन्य वाम दलों के साथ मिलकर संसद में कोयला ब्लाकों के आबंटन,पेट्रोलियम पदार्थो के दामों में बढोतरी तथा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वाड्रा को जमीन खरीद में हरियाणा सरकार की ओर से दिए गए लाभ के मामले को भी उठाने का घोषणा की है।
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