बाल ठाकरे की अंतिम यात्रा शुरू,थम गई मुंबई 

मुंबई।
Bal Thackeray funeralशिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे के निधन के बाद कभी न थमने वाली मुंबई की सड़के खाली हैं,बाजार बंद हैं और बाला साहब के अंतिम दर्शनों के लिए मुंबई थम सी गई है। ठाकरे को पुलिस जवानों की सलामी के बाद 'मातोश्री' से उनकी अंतिम यात्रा शुरू हो चुकी है। यह यात्रा दादर स्थित शिवसेना भवन होते हुए शिवाजी पार्क पर समाप्त होगी। यहीं पर राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार होगा। इससे पहले शाम 5 बजे तक उनकी पार्थिव देह को अंतिम दर्शनों के लिए रखा जाएगा।
उल्लेखनीय है कि शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे का शनिवार को यहां बांद्रा स्थित उनके आवास 'मातोश्री' में निधन हो गया। उनकी तबीयत कई दिनों से खराब चल रही थी। उन्हें वेंटीलेटर पर भी रखा गया था। काफी इलाज के बाद भी उनकी सेहत में सुधार नहीं हुआ। वे 86 वर्ष के थे। ठाकरे के निधन के बाद महानगर में सुरक्षा व्यवस्था मजबूत कर दी गई है। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी तथा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने ठाकरे के निधन पर गहरा शोक जताया है। शिवसेना प्रमुख का इलाज करने वाले डॉक्टर जलील पारकर ने ठाकरे के आवास से बाहर आने के बाद कहा,बाल ठाकरे की ह्वदय गति रूक गई और प्रयासों के बावजूद हम उसे बहाल नहीं कर सके। उन्होंने अपराह्न 3: 30 बजे अंतिम सांस ली। डॉक्टर ने बताया कि ठाकरे को सांस की तकलीफ के अलावा पेन्क्रियाज की बीमारी थी। उनके परिवार में पुत्र जयदेव और उद्धव हैं। इनमें उद्धव पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष हैं।


आज बंद रहेगी मुंबई
बाला साहेब के अंतिम संस्कार को ध्यान में रखते हुए मुंबई में विशेष सुरक्षा इंतजाम किए गए है। ऑटो और टैक्सी नहीं चलेंगी,लेकिन अंतिम दर्शनों के लिए यातायात व्यवस्था सुचारू करने के लिए बेस्ट की ओर से अतिरिक्त बसें चलाई गई हैं। अनुमानत: 3-5 लाख लोग ठाकरे के अंतिम दर्शनों के लिए सकते हैं। इस लिहाज से सुरक्षा व्यवस्था में 20 हजार पुलिसकर्मी और सीआरपीएफ की 15 कंपनियां तैनात की गई हैं।



राज पहुंचे मातोश्री -
ठाकरे के निधन का समाचार सुनते ही बाल ठाकरे के भतीजे राज ठाकरे अपने परिवार के साथ 'मातोश्री' पहुंचे। उनके अलावा पार्टी के वरिष्ठ नेता,अन्य राजनीतिक नेता,बॉलीवुड की हस्तियां आदि भी दिवंगत नेता के आवास पर पहुंचने लगे। ठाकरे के निधन की खबर सुनकर कुछ शिव सैनिकों ने 'बाल ठाकरे अमर रहें' के नारे लगाते हुए मातोश्री में प्रवेश की कोशिश की,जिसे पुलिस ने विफल कर दिया।


योद्धा का संघर्ष -
इससे पहले,शिव सेना के मुखपत्र 'सामना' ने लिखा था,'ठाकरे का स्वास्थ्य सुधर रहा है और चिंता की कोई बात नहीं है। हमारा योद्धा संघर्ष कर रहा है।'

भोज रद्द -

भाजपा नेता सुष्ामा स्वराज के अनुरोध पर प्रधानमंत्री ने इस पार्टी के नेताओं के लिए शनिवार को नई दिल्ली में आयोजित रात्रिभोज रद्द कर दिया।

बाल ठाकरे: एक परिचय
- जन्म: 23 जनवरी 1926
- 1966 में शिव सेना का गठन
- सियासी सोच पिता से प्रभावित
- संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन से जुड़े रहे
- कॅरियर की शुरूआत बतौर कार्टूनिस्ट
- 1960 में वीकली पत्रिका 'मार्मिक' का प्रकाशन


जताया शोक -
- ठाकरे का निधन महाराष्ट्र और भारत की जनता का नुकसान है। उनके निधन से देश ने एक अनुभवी नेता खो दिया है। - राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी
- महाराष्ट्र की राजनीति में बाला साहब का स्थान अनूठा है। वे हमेशा इसकी जनता में गौरव की भावना पैदा करने के उत्सुक रहे। - प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह
छल कपट से दूर,दिलदार नेतृत्व थे बाला साहब। भाजपा और शिव सेना दोनों ने अपना सहारा खो दिया है। - भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी 
एक असाधारण व्यक्ति और राजनीतिज्ञ चला गया। स्वतंत्र भारत के 65 वष्ाü के दौरान देश पर ऎसी गहरी छाप शायद ही किसी ने छोड़ी होगी जैसी छाप उन्होंने छोड़ी है। - लालकृष्ण आडवाणी,भाजपा के वरिष्ठ नेता
हिंदू ह्वदय सम्राट बाल ठाकरे अनंत की यात्रा पर चले गए। - लता मंगेशकर,प्रसिद्ध गायिका
बाला साहब का निधन हम सबके लिए बड़ी क्षति है। - रजनीकांत,दक्षिण भारत के सुपर स्टार
बाला साहब के निधन की खबर सुनकर काफी दुख हुआ। उनका महाराष्ट्र के लिए अपार योगदान है। यह बहुत बड़ी क्षति है। उनकी कमी हमेशा महूसस होगी। - सचिन तेंदुलकर,क्रिकेटर
बाल ठाकरे के बाद कौन- उद्धव या राज ?
बाल ठाकरे के निधन से महाराष्ट्र की राजनीति में एक शून्य उभर गया है। अब उनकी जगह कौन लेगा, इसे लेकर अटकलें तेज हो गई हैं। इन दिनों इस राज्य की राजनीति में राज और उद्धव ठाकरे का अच्छा नाम है। शिव सेना के हलकों में राज को बाला साहब का स्वाभाविक उत्तराधिकारी माना जाता था। उनके उठने बैठने और यहां तक कि भाषण देने का अंदाज अपने चाचा पर गया था। बाल ठाकरे के पुत्र उद्धव ठाकरे को भी पार्टी में ऊंचा मुकाम हासिल था लेकिन लोकप्रियता में वे अपने चचेरे भाई राज ठाकरे से कुछ पीछे थे।


रिश्तों में उतार-चढ़ाव
जब बाल ठाकरे के सामने इन दोनों में से एक को अपना उत्तराधिकारी चुनने का मौका आया तो उन्होंने अपने पुत्र उद्धव को अपने भतीजे राज पर तरजीह दी। राज यह अवहेलना बर्दाश्त नहीं कर सके और उन्होंने अपनी अलग पार्टी महाराष्ट्र नव निर्माण सेना बना ली। पिछले विधानसभा चुनाव में शिव सेना को 44 तथा मनसे को 14 सीटें मिली थीं। इसके बाद दोनों भाइयों के बीच राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता बढ़ती चली गई। फिर पिछले दिनों जब उद्धव को दिल की बीमारी हुई तो राज न सिर्फ उन्हें देखने अस्पताल पहुंचे बल्कि उन्हें अपनी कार में बिठाकर वापस मातोश्री लाए। कयास लगाए गए कि राज के इस कदम के पीछे बाल ठाकरे का हाथ था।


बाल ठाकरे का फॉर्मूला -
सूत्रों के मुताबिक बाल ठाकरे अगले विधानसभा चुनावों के बाद राज को शिव सेना विधानमंडल दल का नेता और उद्धव को पार्टी नेतृत्व की कमान सौंपने के पक्ष में थे। राज को इस फॉर्मूले से कोई आपत्ति नहीं है,लेकिन उद्धव ने इस पर रजामंदी नहीं जताई है।

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