प्रभु को समर्पित होने पर ही मिलते हैं भगवान' 
बाड़मेर
सुमेर गोशाला मैदान में बाहेती परिवार की ओर से आयोजित नैनी बाई रो मायरो कथा के दूसरे दिन कथावाचन के दौरान प्रवचन देते हुए रामस्नेही संत रामप्रसाद महाराज ने कहा कि भौतिकवादी संस्कृति में आर्थिक संपन्नता को अधिक महत्व दिया जा रहा है। उन्होंने आर्थिक संपन्नता की बजाए व्यक्ति के गुणों को अधिक महत्व देने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि अगर व्यक्ति अपने आपको परमात्मा के आगे समर्पित कर देता है तो उसके कार्य परमात्मा की कृपा से स्वत: ही हो जाते हैं। प्रवचन के दौरान संत ने कहा कि गरीब नरसी मेहता शादी में न आए इसलिए नैनी बाई की दादी सास, ससुर, ननद ने मायरा के सामग्री की ऐसी सूची तैयार की जो न कभी देखी और न कभी सुनी गई। कलयुग में भक्ति के साक्षात स्वरूप नरसी मेहता ने जब जानते हुए भी परमात्मा के प्रति समर्पण भाव से समर्पित होकर मायरा भरने के लिए जाना तय किया। ऐसे में साधन के अभाव में टूटी गाड़ी एवं वृद्ध बैल की बैलगाड़ी जोत तुंबों से भरकर संतों के साथ सांवरिया के भरोसे रवाना हो गए।रास्ते में बैल गाड़ी के टूटने एवं परमात्मा द्वारा किसना खाती के रूप में अवतरित होकर टूटी गाड़ी को ठीक करने एवं गाड़ी चलाते हुए अंजार नगरी पहुंचने तक के प्रसंगों की संगीतमय भजनों से प्रस्तुति दी जिस पर श्रद्धालुओं की आंखों से आंसू टपकने लगे। कथा के दौरान मनमोहक झांकियों का भी प्रदर्शन किया गया। आयोजक परिवार के अशोक बाहेती ने बताया कि कथा के प्रारंभ होने से पूर्व संत रामप्रसाद महाराज, व्यास पीठ एवं राधाकृष्ण छवि का भगवतीलाल कपूरिया, मघराज कंसारा, भरत मूंदड़ा, आलोक सिंहल, ओमप्रकाश बाहेती, तेजराज कपूरिया ने माल्यार्पण कर अभिनंदन किया।इस अवसर पर राधे महिला मंडल, जानकी महिला मंडल, स्वर्णकार महिला मंडल, गीता गोपी महिला मंडल सहित विभिन्न धार्मिक एवं सामाजिक संस्थाओं के पदाधिकारी भी कथा में उपस्थित थे। 

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