विज्ञान ने खोज लिया भगवान!

लंदन/जिनेवा। ब्रह्मांड के निर्माण की गुत्थी सुलझाने की दिशा में वैज्ञानिकों को अहम सफलता मिली है। सालों से महाप्रयोग में जुटे वैज्ञानिकों ने बुधवार को प्रेस कांफ्रेंस में दावा किया कि उन्हें महाप्रयोग के दौरान नए सब एटोमिक पार्टिकल मिले हैं जिनकी कई खूबियां "हिग्स बोसॉन" या "गॉडपार्टिकल" से मिलती हैं। उन्होंने बताया कि यह खोज प्रारंभिक है तथा नए कणों के विश्लेषण का काम चल रहा हैं।
हिग्स बोसोन पर तीन साल से शोधरत यूरोपीय परमाणु शोध संस्थान (सेर्न) की दो टीमों एटलस और सीएमएस ने गाड पार्टिकल से मिलते-जुलते एक बिल्कुल ही नए कण के पाए जाने की पुष्टि करते हुए कहा कि सब एटोमिक पार्टिकल हमारे शोध संयंत्र लार्ज हेड्रोन कोलाइडर के 125 और 126 जीईवी क्षेत्र में स्थित है। यह एक अदभुत क्षण हैं। हमने अब तक मिले सभी बोसोन कणों में से सबसे भारी बोसोन को खोज निकाला है। 
ब्रह्मांड निर्माण की गुत्थी सुलझेगी
सेर्न ने इन नए आंकणों को सिग्मा-05 श्रेणी में स्थान दिया है जिसके मायने होतें हैं "नए पदार्थो की खोज।" वैज्ञानिकों का दावा है कि इस खोज के बाद कोई बीमारी अब लाइलाज नहीं रहेगी तथा ब्र्रह्मांड निर्माण की गुत्थी सुलझेगी। हालांकि वैज्ञानिकों ने यह भी कहा कि इन नए कणों के कई गुण "हिग्स बोसॉन" थ्योरी से मेल नहीं खाते हैं। फिर भी इसे ब्रह्मांड के रहस्य खोलने की दिशा में एक अहम कामयाबी माना जा रहा है। हिग्स सिद्धांत का प्रतिपादन 1960 के दशक में प्रोफेसर पीटर हिग्स ने किया था। 
वीडियो पहले ही लीक
ब्रह्मांड के निर्माण की गुत्थी सुलझाने की ताकत रखने वाले कण "हिग्स बोसॉन" या "गॉडपार्टिकल" की खोज के बारे में वैज्ञानिक इसकी अधिकारिक घोषणा करते इससे पहले ही इसका वीडियो लीक हो गया। यूरोपियन ऑर्गेनाइजेशन फॉर न्यूक्लियर रिसर्च (सर्न) की कामयाबी का यह वीडियो खुद उनकी ही वैबसाइट पर पोस्ट हो गया। उधर, वीडियो लीक होने के बाद सर्न की तरफ से कहा गया कि यह जरूरी नहीं कि वीडियो में दिखे यह अंतिम नतीजें हों, प्रयोग के दौरान इस तरह के निष्कर्ष हम निकालते रहते हैं। लीक वीडियो में वैज्ञानिकों को गॉड पार्टिकल ढूंढने का दावा करते दिखाया जा रहा है। वे कह रहे हैं कि हमने एक नए पार्टिकल को देखा है, उसे महसूस किया है। हमें पूरा विश्वास है कि वहां कुछ है जो दो अणुओं की टक्कर का नतीजा है। 
क्या है "हिग्स बोसॉन" का सिद्धांत
"हिग्स बोसॉन" या "गॉडपार्टिकल" ये पता लग सकेगा कि कणों में भार क्यों होता है। साथ ही ये भी पता चल सकेगा कि ब्रह्रांड की उत्पत्ति कैसे हुई होगी। हिग्स बॉसन के बारे में पता लगाना भौतिक विज्ञान की सबसे बड़ी पहेली माना जाता रहा है। जब कणों में भार आता है तो वो एक दूसरे से मिलते हैं। हालांकि कणों में भार आने और उनके मिलने की बात समझ में आती है लेकिन अभी तक कोई प्रयोग हिग्स कणों की मौजूदगी का प्रमाण नहीं दे सका है। 
भारत समेत दुनिया के 111 देश जुटे
10 दिसम्बर 2008 को शुरू हुए इस महाप्रयोग में भारत समेत दुनिया के 13 देशों के वैज्ञानिक शामिल हैं। 300 फीट नीचे 27 मीटर लम्बी सुरंग में मशीन के जरिए वैज्ञानिक लम्बे समय से इस बारे में रिसर्च करने में जुटे थे। लार्ज हेड्रॉन कोलाइडर नामक परियोजना में दस अरब डॉलर खर्च हो चुके हैं। इस परियोजना के तहत दुनिया के दो सबसे तेज कण बनाए गए हैं जो प्रोटान से टकराएंगे प्रकाश की गति से इसके बाद जो होगा उससे ब्रह्रांड के उत्पत्ति के कई राज खुल सकेंगे।

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