गुजरात की राज्यपाल कमला पर करोड़ों रूपए की जमीन हड़पने का आरोप
जयपुर।
भारतीय जनता पार्टी ने गुजरात की राज्यपाल कमला पर राज्य सरकार की मिलीभगत से करोड़ों रूपए की जमीन हड़पने का आरोप लगाया है। पार्टी ने कमला की सदस्यता वाली एक सहकारी समिति के कुल 20 सदस्यों को जेडीए की जमीन आवंटित करने में बाजार कीमत के हिसाब से एक हजार करोड़ का घपला बताया है और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर भी मिलीभगत का आरोप जड़ा है। जमीन लेने वालों में पूर्व मंत्री स्व.कुम्भाराम आर्य व सुरजाराम मील जैसे प्रभावशाली लोग भी बताए गए हैं। इन आरोपों पर गुजरात राजभवन के प्रवक्ता ने कहा कि मामला राजनीतिक है, राज्यपाल इस पर टिप्पणी नहीं करेंगी।भाजपा के राष्ट्रीय सचिव व राजस्थान के सह प्रभारी किरीट सोमैया ने सोमवार को पार्टी मुख्यालय में बुलाए पत्रकार सम्मेलन में कुछ सरकारी दस्तावेज के साथ कथित घपले का खुलासा किया। उन्होंने कहा कि सहकारिता विभाग के रजिस्ट्रार की आपत्ति के बावजूद जयपुर विकास प्राघिकरण ने इस समिति के सदस्यों को जमीन आवंटित की।
फिलहाल यह प्रकरण सहकारिता विभाग ने राजस्थान सहकारी न्यायाघिकरण को भिजवा दिया है। सोमैया ने पूरे प्रकरण की अदालत की देखरेख में विशेष्ा दल से जांच कराने और राज्य सरकार से स्पष्टीकरण देने की मांग की है।
कमला के भी दस्तखत
भाजपा नेता ने 1 जनवरी 2012 को हुई समिति की बैठक का कार्यवाही विवरण वितरित किया जिसमें कमला के भी दस्तखत हैं। हस्ताक्षर के हिसाब से वे भी बैठक में शरीक हुई।
सहकारिता विभाग की कड़ी आपत्ति
सोमैया ने दस्तावेज के आधार पर कहा कि सहकारिता विभाग ने दिसम्बर 2011 में भूखण्ड आवंटन पर रोक लगाते हुए जेडीए को भूखण्ड नहीं देने को कह दिया था।
लेकिन करीब एक-डेढ़ पहले जेडीए ने आवंटन पत्र जारी कर दिए, हालांकि वर्तमान में रोक है।
सोमैया के अनुसार सहकारिता विभाग के रजिस्ट्रार पी.एस.मेहरा ने अपनी जांच में आरक्षित दर 23 हजार रूपए प्रति वर्गगज के बजाय जेडीए की ओर से 800 रूपए प्रति वर्गगज का निर्घारण करने पर आपत्ति जताई थी।
इसके साथ ही प्रत्येक सदस्य की ओर से 41 हजार मानव श्रम दिवस काम करने के दावे को संदिग्ध ठहराया गया। रजिस्ट्रार ने अपने निष्कष्ाü में जानबूझकर व गलत इरादे से झूठे विवरण देने की भी बात कही बताई।
एक आपत्ति यह भी है कि जब सामूहिक कृçष्ा कार्य के लिए सरकार ने ही जमीन का आवंटन किया तो जेडीए ने सदस्यों को अलग-अलग भूखण्डों का आवंटन कैसे कर दिया।
...और तबादले कर दिए
सोमैया ने कहा कि रजिस्ट्रार मेहरा और प्रमुख सहकारिता सचिव तपेश पंवार का तबादला इसीलिए किया गया कि उन्होंने भूखण्ड देने का विरोध किया और इस तरह के आदेश जारी किए। इसकी सजा उन्हें भुगतनी पड़ी।
जेडीए के आवंटन पत्र नहीं बताए
पत्रकारों ने जब जेडीए के आवंटन पत्र और जेडीए के पत्राचार की प्रतिया मांगी तो किरीट ने फिलहाल ये दस्तावेज अपने पास नहीं बताए। उन्होंने यह जरूर कहा कि सरकार की ओर से स्पष्टीकरण आने दो, वे दो दिन बाद और भी सरकारी कागजात उपलब्ध कराएंगे।
भाजपाराज में आवंटन
आरोप गलत हैं। जो आवंटन हुए हैं वे भाजपा सरकार के कार्यकाल के हैं। इसमें गुजरात राज्यपाल कमला की कोई भूमिका नहीं है। सरकारी प्रक्रिया के तहत जमीन आवंटित हुई है। जमीन सोसायटी को आवंटित हुई है और इसमें प्रावधान किया गया है कि इसे सामूहिक काम में लिया जाए, व्यक्तिगत नहीं। परसादी लाल मीणा सहकारिता मंत्री (मीडिया से बातचीत में)
यूं बताया घपला
13 फरवरी 1953 को किसान सामूहिक कृषि सहकारी समिति झोटवाड़ा का पंजीकरण।
राज्य सरकार ने 1953 में सहकारी कृषि कार्य के लिए समिति को 384 बीघा जमीन आवंटित की।
कमला 16 मई 1970 को इस समिति की सदस्य बनीं। कुछ सदस्य तो और बाद में भी बने।
जेडीए ने 1990 के दशक में पूरी जमीन अघिग्रहित की।
एक-डेढ़ साल पहले जेडीए ने मुआवजे के तौर पर कमला समेत समिति के सभी सदस्यों को करधनी योजना में गोविन्दपुरा में जमीन आवंटित कर दी।
209 व्यावसायिक व आवासीय भूखण्ड आवंटित किए। हर सदस्य को 1516 वर्गमी. जमीन मिली।
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